Monday, February 1, 2010

सेक्स पर छूट मिलें

समलैगिंगता सवालों के कटघडे़ में खड़ी है। पहले इसे घृणा की दृिश्ट से देखा जाता था आज नज़रिया में परिवर्तन देखा गया है अधिकांश लोग इसमें सहमति दे रहे है कुछ खुलकर कुछ दबे मन से।

किसी ने यह देखा है बच्चे जब छोटे होते है उनमें भी इसी प्रकार के गुण दिखने को मिल जाते है जब वो आपने साथी के साथ खेलते है कुछ समय वितीत करते है या फिर अपने से बड़े या छोटे भाई के साथ भी, घर में , किसी खाली जगह पर यह करते है कुछ लोगों को इसकी आदत हो जाती है कुछ लोग इससे परे हो जाते है, लड़कियों के साथ भी ऐसा होता है। इस आदत से परे हो जाते है वो समलैगिंगता के दायरे से बाहर निकल जाते है जिसको इसकी लत लग जाती है वो समलैगिंग कहलाते है उनको इसकी आदत हो जाती है जैसे लड़की जब तक सेक्स नहीं करती इससे दूर रहती है एक बार सेक्स किया की वो इसकी आदी हो जाती है उसको सेक्स की दरकार बनी रहती है लड़कियां इस भावना को आसानी से छिपा लेती है लेकिन आंखें सब कुछ बायां करती है जिस्म की गर्मी जब सताती है और गर्मी नहीं बुझती तो वो आंखों में उतर आती है जो साफ तौर पर देखी जा सकती हैं।

समलैगिंक सम्बंध आज के दौर की उपज है इसका भी एक कारण है समाज में सेक्स करने पर प्रतिबंध। पहले के दशक में अपनी मर्जी से किसी के भी साथ सेक्स किया जा सकता था कोई प्रतिबंध नहीं था , ज्यों - ज्यों प्रतिबंध लगता गया , बलात्कार , और समलैगिंक जैसे मामलें में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है, यह बात सत्य है जिस काम के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है इंसान वो काम ही करता है यदि उसकों छूट दे दी जाए तो उस काम को करने में अनाकानी करने लगता है। जब सेक्स आसानी से किया जाता था तब इस तरह की कोई घटना घटित नहीं होती थी अब क्या कहें हर जगह प्रतिबंध पे प्रतिबंध लगा हुआ है ये नहीं कर सकते वो नहीं कर सकते।

मेरे नज़रियें से तो सेक्स को छूट दे देनी चाहिए जिसको जिसके साथ सेक्स करना हो वो कर सकताा है पर इसमें कोई जोर जबदस्ती नहीं होनी चाहिए यदि दोनों सहमत है तो कोई बात नहीं वो समभोग कर सकते है। इससे महिलाओं के प्रति हो रही हिंसात्मक घटनाओं में गिरावट अवश्य आएगी ।

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